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The satsang of the complete saint is the dose of the soul.

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कबीर साहेब ही परमेश्वर हैं और वे ही सभी आत्माओं के जनक हैं। इस परमात्मा ने छः दिन में सृष्टि रची और सातवें दिन तख्त पर जा विराजे यह तख्त सामान्य नहीं हैं ये वो तख्त है जिसपे अनन्त कोटि ब्रह्मांड के स्वामी विराजमान हैं और अपनी दिव्य शक्ति के द्वारा सारे ब्रह्मांडों को गतिशील और नियमानुसार चला रहे हैं। ये बातें न तो हम बता सकते और न कोई अन्य प्राणी बता सकते ये बातें तो हमारे सदग्रन्थ खोलकर बताते हैं या फिर वो परम शक्ति आकर के बताती है जो कि या तो स्वयं आते हैं या अपना कोई प्रतिनिधि चुनकर भेजते हैं वो बताते हैं  इस समय वर्तमान में संत सतगुरु के रूप में रामपाल जी महाराज जी को वो अपनी सारी शक्ति देकर भेजा हुआ है इस समय किसी की समझ में आए तो अच्छी बात है नहीं समझ में आवे तो उनके कर्म अधिक बिगड़े हुए हैं जिनसे वो उस परम शक्ति को नहीं पहिचान पा रहे हैं लेकिन समय पर पहिचान लिया तो ठीक है और समय निकलने पर पहिचाना तो समय ने किसीको भी नहीं बख्सा है समय के अनुसार ही सारे काम चलते हैं उनको समय की भयंकर मार खानी पड़ेगी।उस समय पश्चाताप के अलावा कुछ भी प्राप्त नहीं होना है।  अतः ह

True spiritual knowledge.

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623 God Kabir Prakat Diwas काशी में एक लहरतारा तालाब था। गंगा नदी का जल लहरों के द्वारा नीची पटरी के ऊपर से उछल कर एक सरोवर में आता था। इसलिए उस सरोवर का नाम लहरतारा पड़ा। उस तालाब में बड़े-2 कमल के फूल उगे हुए थे। नीरू-नीमा(नि:सन्तान दम्पत्ति थे) ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के लिए गए हुए थे। वहां नीरू - नीमा को कमल कद फूल पर शिशु रूप में कबीर परमात्मा मिले थे। कबीर साहेब प्रकट दिवस जब कबीर परमेश्वर काशी में शिशु रूप में प्रकट हुए थे तब पूरी काशी परमेश्वर कबीर जी के बालक रूप को देखने को उमड़ पड़ी। स्त्री-पुरूष झुण्ड के झुण्ड बना कर मंगल गान गाते हुए उनको देखने आए। बालक रूप में कबीर परमात्मा को लेकर जब नीरू तथा नीमा अपने घर जुलाहा मोहल्ला आए। जिस भी नर व नारी ने नवजात शिशु रूप में परमेश्वर कबीर जी को देखा वह देखता ही रह गया। परमेश्वर का शरीर अति सुन्दर था। आँख जैसे कमल का फूल होए, घुँघराले बाल, लम्बे हाथ, लम्बी-2 अँगुलियाँ, शरीर से मानो नूर झलक रहा हो। पूरी काशी नगरी में ऐसा अद्धभुत बालक नहीं

Kabir Sahib is the creator of the universe.

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5 june 2020 kabir saheb prkat divas कबीर परमात्मा सशरीर सतलोक से आते हैं, उनका जन्म नहीं होता। जो देव जन्म मृत्यु के चक्कर में है उनकी जयंती मनाई जाती है लेकिन पूर्ण परमात्मा कबीर जी का प्रकट दिवस मनाया जाता है क्योंकि वो सत्यलोक से सशरीर पृथ्वी पर प्रकट होते हैं - "गगन मंडल से उतरे सतगुरु पुरूष कबीर” जलज माहि पौडन किए, सब पीरन के‌ पीर।। कबीर साहेब ही परमेश्वर हैं और वे ही सभी आत्माओं के जनक हैं। इस परमात्मा ने छः दिन में सृष्टि रची और सातवें दिन तख्त पर जा विराजे यह तख्त सामान्य नहीं हैं ये वो तख्त है जिसपे अनन्त कोटि ब्रह्मांड के स्वामी विराजमान हैं और अपनी दिव्य शक्ति के द्वारा सारे ब्रह्मांडों को गतिशील और नियमानुसार चला रहे हैं। ये बातें न तो हम बता सकते और न कोई अन्य प्राणी बता सकते ये बातें तो हमारे सदग्रन्थ खोलकर बताते हैं या फिर वो परम शक्ति आकर के बताती है जो कि या तो स्वयं आते हैं या अपना कोई प्रतिनिधि चुनकर भेजते हैं वो बताते हैं  इस समय वर्तमान में संत सतगुरु के रूप में रामपाल जी महाराज जी को वो अपनी सारी शक्ति देकर भेजा हुआ है इस स

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के चमत्कार

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5 जून 2020 को 623वाँ कबीर साहेब प्रकट दिवस  कबीर साहेब जी ने कहा है कि मनुष्य जन्म बहुत अनमोल है इसे शास्त्र विरुद्ध साधना करके व्यर्थ नहीं करना चाहिए, क्योंकि मनुष्य जन्म बार बार नहीं मिलता। मानुष जन्म दुर्लभ है, ये मिले ना बारंबार। जैसे तरवर से पत्ता टूट गिरे, वो बहुर न लगता डार।। परमात्मा कबीर साहेब जी ने ही हमे बताया है कि संसार में करोड़ों नाम (मंत्र) हैं उनसे मुक्ति नहीं होती, सारनाम से ही मुक्ति होती है लेकिन उस मंत्र को कोई नहीं जानता। उस मंत्र को सिर्फ तत्वदर्शी संत ही बता सकता है। कबीर, कोटि नाम संसार में, इनसे मुक्ति ना होय। सारनाम मुक्ति का दाता, वाको जाने न कोय परम दिव्य ज्ञान परमेश्वर कबीर साहेब जी ने ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश के माता-पिता का ज्ञान कराया तथा उनकी उत्पत्ति बताई। कबीर साहिब ने ही सतलोक का ज्ञान दिया। कबीर साहेब जी ने तत्वज्ञान दिया कि मानव जीवन में सतगुरु बनाकर भक्ति करना परमावश्यक है। सच्चे गुरु की शरण में जाकर दीक्षा लेने से ही पूर्ण लाभ मिलेगा, अन्यथा मानव जीवन बर्बाद है। वर्तमान में पूर्ण सतगुरु केवल संत रामपाल जी महारा

samrth god miracles of kabir saheb

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5 जून कबीर साहेब प्रकट दिवस 623 वाँ कबीर जी द्वारा स्वामी रामानन्द के मन की बात बताना स्वामी रामानंद जी विष्णु जी की काल्पनिक मूर्ति बनाकर मानसिक पूजा करते थे। एक समय ठाकुर की मूर्ति पर माला डालनी भूल गए। तब कबीर परमात्मा जो कि 5 वर्ष के बालक की लीला कर रहे थे बोले कि माला की गांठ खोल कर गले में डाल दो स्वामी जी, पूजा खंडित नहीं होगी। तब रामानंद जी जो पर्दे के भीतर मन में पूजा कर रहे थे, कबीर परमात्मा को सबके सामने गले लगा लिया। मन की पूजा तुम लखी मुकुट माल परवेश।  गरीबदास गति कौ लखै, कौन वरण क्या भेष।। नामदेव जी की छान डालना जब जर्जर हुई झोपड़ी की छत को सही करने में लिए माता ने नामदेव को घास फूस लाने भेजा, तो रास्ते में सत्संग सुनने की वजह से और कुल्हाड़ी लगने से जब नामदेव घास फूस की व्यवस्था नहीं कर पाया और खाली हाथ घर लौटा तो नामदेव के रूप में कबीर जी झोपड़ी की छत डाल गए। गोरखनाथ से गोष्ठी एक बार कबीर परमेश्वर जी और गोरखनाथ जी की गोष्ठी हुई। गोरखनाथ जी गंगा नदी की ओर चल पड़ा। उसमें जा कर छलांग लगाते हुए कबीर जी से कहा कि मुझे ढूंढ दो मै

The great example of Hindu-Muslim unity in Magahar

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5 june kabir saheb prkat divas The great example of Hindu-Muslim unity in Magahar, from where Kabirji had left for Satlok along with his body, there are still lovely temples and mosques that exists at that  place. 600 years ago, before leaving his body in Maghar, Kabir Sahib explained his knowledge to all the people, saying that Rama and Allah are one. People of all religions are children of one God. God Kabir went from Maghar in his physical form dekhya maghar jahura ho, kaashee mein keerti kar chaale, jhilamil dehi noora ho . More information must watch sadhna TV 7.30 PM Visit website:www.jagatgururampaljimaharaj.org

कबीर साहेब सशरीर प्रकट होते हैं वही पूर्ण परमात्मा है

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5 जून कबीर साहेब प्रकट दिवस सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनिन्द्र नाम से, द्वापर युग में करूणामय नाम से तथा कलयुग में वास्तविक कविर्देव (कबीर प्रभु) नाम से प्रकट हुए हैं। परमात्मा तत्वज्ञान को कविर्वाणी (कबीर वाणी) द्वारा लोकोक्तियों, दोहों, चौपाईयों द्वारा बोलकर सुनाता है। वह कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है जो सन्त रूप में प्रकट होता है। उस परमेश्वर द्वारा ऋषि या सन्तों द्वारा रची असँख्यों वाणियाँ जो तत्वज्ञान है, वे उसके अनुयाईयों के लिए अमृत तुल्य आनंददायक होती हैं। वह परमेश्वर प्रसिद्ध कवियों में से भी एक प्रसिद्ध कवि की पदवी भी प्राप्त करते हैं। उनको कवि कहते हैं, परंतु वह परमात्मा होता है। वह परमात्मा तीसरे मुक्ति धाम (सत्यलोक) में विराजमान कबीर साहेब हैं