samrth god miracles of kabir saheb
5 जून कबीर साहेब प्रकट दिवस 623 वाँ कबीर जी द्वारा स्वामी रामानन्द के मन की बात बताना
स्वामी रामानंद जी विष्णु जी की काल्पनिक मूर्ति बनाकर मानसिक पूजा करते थे। एक समय ठाकुर की मूर्ति पर माला डालनी भूल गए। तब कबीर परमात्मा जो कि 5 वर्ष के बालक की लीला कर रहे थे बोले कि माला की गांठ खोल कर गले में डाल दो स्वामी जी, पूजा खंडित नहीं होगी। तब रामानंद जी जो पर्दे के भीतर मन में पूजा कर रहे थे, कबीर परमात्मा को सबके सामने गले लगा लिया।
मन की पूजा तुम लखी मुकुट माल परवेश।
गरीबदास गति कौ लखै, कौन वरण क्या भेष।।
नामदेव जी की छान डालना
जब जर्जर हुई झोपड़ी की छत को सही करने में लिए माता ने नामदेव को घास फूस लाने भेजा, तो रास्ते में सत्संग सुनने की वजह से और कुल्हाड़ी लगने से जब नामदेव घास फूस की व्यवस्था नहीं कर पाया और खाली हाथ घर लौटा तो नामदेव के रूप में कबीर जी झोपड़ी की छत डाल गए।
गोरखनाथ से गोष्ठी
एक बार कबीर परमेश्वर जी और गोरखनाथ जी की गोष्ठी हुई। गोरखनाथ जी गंगा नदी की ओर चल पड़ा। उसमें जा कर छलांग लगाते हुए कबीर जी से कहा कि मुझे ढूंढ दो मैं आपका शिष्य बन जाऊँगा। गोरखनाथ मछली बन कर गए। कबीर साहेब ने उसी मछली को पानी से बाहर निकाल कर सबके सामने गोरखनाथ बना दिया। तब गोरखनाथ कबीर जी के शिष्य बने।
पूर्ण प्रभु कबीर साहेब के अवतार रूप में वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज इस पृथ्वी लोक में आए हुए हैं अतः उन से उसी प्रकार लाभ लेने के लिए अवश्य् संत रामपाल जी महाराज सेे नाम उपदेश ले अवश्य्ल देखिए साधना चैनल शाम 7:30 बजे से