कबीर साहेब सशरीर प्रकट होते हैं वही पूर्ण परमात्मा है

5 जून कबीर साहेब प्रकट दिवस
सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनिन्द्र नाम से, द्वापर युग में करूणामय नाम से तथा कलयुग में वास्तविक कविर्देव (कबीर प्रभु) नाम से प्रकट हुए हैं।
परमात्मा तत्वज्ञान को कविर्वाणी (कबीर वाणी) द्वारा लोकोक्तियों, दोहों,
चौपाईयों द्वारा बोलकर सुनाता है। वह कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है जो सन्त रूप
में प्रकट होता है। उस परमेश्वर द्वारा ऋषि या सन्तों द्वारा रची असँख्यों वाणियाँ
जो तत्वज्ञान है, वे उसके अनुयाईयों के लिए अमृत तुल्य आनंददायक होती हैं।
वह परमेश्वर प्रसिद्ध कवियों में से भी एक प्रसिद्ध कवि की पदवी भी प्राप्त
करते हैं। उनको कवि कहते हैं, परंतु वह परमात्मा होता है। वह परमात्मा तीसरे
मुक्ति धाम (सत्यलोक) में विराजमान कबीर साहेब हैं

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